मद भरी मादक सुगन्ध से आम्र मंजरी की पथ-पथ में.... कूक कूक कर इतराती फिरे बावरी कोयलिया.... है जाती जहाँ तक नजर लगे मनोहारी सृष्टि सकल छा गया उल्हास....चारों दिशाओं में री सखि देखो बसन्त आ गया
आपकी लिखी रचना सोमवारीय विषय विशेषांक "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 29 जनवरी 2018 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना वैभवी जी...👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई
बासंती लाव्णय से परिपूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंexcellent line, publish your book with best Hindi Book Publisher India
जवाब देंहटाएंसुंदर बासंती रचना !!!!!!!
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