कह दी बात
खुल के
बात अपने
दिल की
तो हो गया बवाल.....
तलाशते हो
यहां - वहां
रोज बाते चटपटी
मुहब्बत की
आँखें ने...जो
कही.. तो हुआ
वही.....जिसका
था.....अंदेशा
काफी भारी.....हुआ
बवाल.....
लिहाज कर गए
बड़ों का
झुका कर....आँख
तो हो गया...वही
घिसा-पिटा सा
बवाल.....
किया सवाल
डालकर आँखें
आखों में
कहलाई मैं
बवाली.....सोचा हमने
कि होगा कहा धोखे से
बावली की जगह
बवाली....पूछ लिया
तो हो गया....वही
वो मुंआ बवाल
जी नमस्ते
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार २२जनवरी २०१८ के विशेषांक के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
लाज़वाब रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई
वाह!!बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !!!!!
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