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शुक्रवार, जनवरी 26, 2018

बावरी कोयलिया....


मद भरी मादक 
सुगन्ध से 
आम्र मंजरी की
पथ-पथ में....
कूक कूक कर
इतराती फिरे
बावरी
कोयलिया....
है जाती
जहाँ तक नजर
लगे मनोहारी
सृष्टि सकल
छा गया
उल्हास....चारों 
दिशाओं में
री सखि देखो
बसन्त आ गया

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना सोमवारीय विषय विशेषांक "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 29 जनवरी 2018 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बहुत सुंदर रचना वैभवी जी...👌👌

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  3. बहुत सुंदर रचना
    बहुत बहुत बधाई

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  4. बासंती लाव्णय से परिपूर्ण रचना..

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  5. सुंदर बासंती रचना !!!!!!!

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