तरोताजा करती है रैकी आध्यात्मिक चिकित्सा पद्धति
जापान की परंपरागत 'जिकिडेन रैकी आध्यात्मिक चिकित्सा पद्धति' डायबटीज, गठिया, स्लिप डिस्क और बहरापन जैसी अनेक बीमारियों के साथ-साथ लाइलाज माने-जाने वाली अनेक बीमारियों में भी बहुत कारगर पाई गई है, साथ ही यह मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक बीमारियों में भी बहुत असरकारक मानी जाती है। दरअसल, यह चिकित्सा पद्धति बीमार तन-मन के साथ तंदुरुस्ती के लिए भी बहुत उपयोगी है
और यह उन्हें और भी तरोताजा करती है।
भारत यात्रा पर आए विश्वप्रसिद्ध जिकीडेन रैकी मास्टर फ्रेंक अरजावा पीटर ने राजधानी में आयोजित एक व्याख्यान में यह जानकारी देते हुए बताया कि दरअसल यह चिकित्सा पद्धति केवल बीमार तन-मन को ही नहीं, बल्कि तंदुरुस्त व्यक्ति को और तरोताजा करती है,
प्रफुल्लित करती है।
उन्होंने कहा कि आज दुनिया को इस स्वास्थ्य पद्धति को दोबारा अपनाए जाने की बहुत जरूरत है। यह न केवल सस्ती रहती है बल्कि इसका असर भी रोगी पर बहुत जल्द नजर आता है तथा रैकी तन-मन दोनों की बीमारियों के इलाज के लिए बहुत कारगर पाई गई है।
रैकी मास्टर ने बताया कि जिकिडेन रैकी दरअसल जापानी चिकित्सा की एक बहुत प्राचीन आध्यात्मिक चिकित्सा पद्धति है
जिसका बड़ी तादाद में लोग प्रयोग करते हैं।
उन्होंने कहा कि इसे वे तथा उनके सहयोगी दोबारा से व्यापक पैमाने पर अपनाए जाने की महत्ता के अभियान में जुटे हैं। इस अवसर पर उन्होंने इस विधा का वहां मौजूद कुछ लोगों पर प्रयोग करके भी दिखाया। इस विधा को प्रयोग करने वाले अनेक लोगों ने भी
इस बारे में अपने अनुभव भी साझे किए।
उन्होंने कहा कि यह तकनीक रक्तचाप, डिप्रेशन, भय जैसी मानसिक परेशानियों में भी बहुत फायदा देती है। भारत में इस पद्धति के पहले जिकिडेन रैकी मास्टर अमित सिंह भी इस मौके पर मौजूद थे।
सिंह के अनुसार वे लोग भारत में इसको लोगों तक पहुंचाने का एक अभियान चला रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इससे लाभान्वित हो सकें, क्योंकि यह न केवल कारगर है बल्कि आम आदमी की पहुंच में है और इसके इलाज का भी जल्द असर देखने को मिलता है।
वे लोग भारत में इसको लोगों तक पहुंचाने का एक अभियान चला रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इससे लाभान्वित हो सकें, क्योंकि यह न केवल कारगर है बल्कि आम आदमी की पहुंच में है और इसके इलाज का भी जल्द असर देखने को मिलता है।
उन्होंने बताया कि इस पद्धति की खासियत यह है कि इसके जरिए बीमार या उपचार करने वाला तो लाभान्वित होता ही है बल्कि यह एक ऐसी अनूठी पद्धति है जिससे उपचार करने वाले रैकी मास्टर में भी प्राणिक ऊर्जा का संचार होता है, साथ ही इसे अन्य चिकित्सा पद्धतियों के साथ-साथ कराया जा सकता है।
रैकी से बीमारियों के इलाज के साथ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर के टॉक्सीन्स नष्ट होते हैं तथा आप स्वयं को तरोताजा महसूस करते हैं।
उन्होंने बताया कि अपनी बीमारियों पर प्रचलित चिकित्सा पद्धतियों से इलाज का कोई असर नहीं होने से निराश होकर उन्होंने इस चिकित्सा पद्धति का सहारा लिया था और स्वस्थ होने पर वे इसे अब जनसाधारण तक पहुंचाने के अभियान से जुड़े हैं।
रैकी मास्टर फ्रेंक दुनियाभर में लोगों को इस विधा को सिखा रहे हैं तथा इस बारे में उन्होंने अनेक पुस्तकें भी लिखी हैं।
-एक अध्ययन
Reiki Hand Positions for Self-Treatment
Reiki Hand Positions for Self-Treatment
वाह..
जवाब देंहटाएं